सहदेव की नज़र है मिडल माइल पर
अगर आप बड़ी कंपनियों की कतार में शामिल होना चाहते हैं तो आपके सपने भी बड़े होने चाहिए और आपके पास इस स्तर का काम करने की क्षमता होनी चाहिए। राघविंदर सहदेव “दुनिया पर एक बड़ा प्रभाव” छोड़़ना चाहते हैं और उनमें अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने का पूरा जोश है।

वह न्यूपोर्ट रोबोटिक्स के सह-संस्थापक और सी.ई.ओ. हैं, जो श्रेणी 8 के ट्रकों को कम दूरी पर स्वायत्त रूप से यात्रा करने में सक्षम बनाता है। वाहनों में कंट्रोलस, गतिशीलता सिस्टम, सेंसर और कंप्यूटर लगाए जाते हैं जो समर्पित मार्गों पर स्वायत्त रूप से चलते हैं।
इस मृदुभाषी आई.टी. पेशेवर की आंखे तब चमक उठती हैं जब वह अपने पसंदीदा – रोबोटिक्स और स्वायत्त ड्राइविंग के बारे में बात करता है। वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटरी आॅंख और मशीन लर्निंग में माहिर हैं।
सहदेव ने कहा, “यहीं तो बड़ी कंपनियों के साथ काम करने का मज़ा आता है।” बड़ी मात्रा में धन ही अकेले समाधान नहीं दे सकता। स्वायत्त ड्राइविंग पर अरबों डॉलर खर्च किए गए हैं, लेकिन परिणाम उस अनुपात में नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, सारा सवाल यह है कि आप अपना पैसा कहां और कैसे खर्च करना चाहते हैं।
सहदेव ने कहा, “आप किसी भी कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, चाहे उनके पास कितने भी डॉलर हों।” समस्या को हल करने के लिए सही पहुच के साथ क्रियात्मक निपुंनता एवं सही सोच आवश्यक है।
भारत में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सहदेव 2014 में इंटर्नशिप पर टोरंटो विश्वविद्यालय में शोध कार्य के लिए कैनेडा आए। उन्होंने एयरोस्पेस अध्ययन के लिए टोरंटो विश्वविद्यालय में एक रोबोट टीम प्रोजेक्ट पर काम किया। इसके बाद, उन्होंने टोरंटो में यॉर्क विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा, वह यू.एफ.टी. में विजीटिंग ग्रेजुएशन छात्र के रूप में स्वायत्त ड्राइविंग पर काम कर रहे थे।
एक साथ चार नौकरियां करने के बाद उन्हें एक मल्टीनेशनल टेलीकॉम कंपनी में नौकरी मिल गई। लेकिन इस काम को ‘हल्का-फुलका और आसान‘ मानते हुए उन्होंने इसे थोड़ा और ‘चुनौतीपूर्ण‘ करने का फैसला किया।
सहदेव ने 2019 में बाउ शिन चैन के साथ न्यूपोर्ट रोबोटिक्स की स्थापना की। वे 2016 में एक ही प्रयोगशाला में काम करते हुए मिले, और उन्होंने एक साथ पेपर पब्लिश किए। कंपनी में 15 कर्मचारी हैं।
सहदेव ने कहा, “ट्रकिंग उद्योग का आकार मुझे बहुत प्रभावित करता है।” उसने देखा कि 2018-19 में किए तरह स्वायत्त ट्रकिंग आकार ले रहा था और कहा कि कोई शक नहीं कि यही वह पहला उद्योग होगा जो आटोमेटड बनेगा। 28 वर्षीय यह शोधकर्ता अपने जीवन के अगले 10 साल स्वायत्त ड्राइविंग को बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर रहा है।

उनकी कंपनी मिडल माइल पर ध्यान दे रही है, जहां रूट आमतौर पर 50 किलोमीटर से कम के होते हैं। उदाहरण के लिए, एक ट्रक वितरण केंद्र से रेल टर्मिनल तक और वापिस यात्रा करता है, या शिपिंग पोर्ट से निर्माण स्थल तक चलता है।
ट्रक को रैट्रोफिट करने से उसका जीवनकाल बढ़ता है। जो वाहन पांच या छह साल के लिए इस्तेमाल किया जाता है उसे सात या आठ साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। सहदेव ने कहा, “ड्राइवर का प्रदर्शन बढ़ने लगता है।” जिस काम के लिए आठ घंटे लगते थे उस काम को छह घंटे में पूरा किया जा सकता है, और जैसे-जैसे काम में सुधार होता जाता है, समय को और भी कम किया जा सकता है। साथ ही ड्राइवरों की कमी की समस्या का भी समाधान किया जा रहा है।

रेट्रोफिट की प्रक्रिया में कुछ सप्ताह लग जाते हैं और इसके दो भाग होते हैं। पहले भाग में सेंसर माउंट, सेंसर और ऑनबोर्ड कंप्यूटर स्थापित करना शामिल है। दूसरा कंट्रोल और गतिशीलता स्थापित करना होता है। सहदेव ने कहा कि आर्थिकता पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता क्योंकि यह एकमुश्त निवेश है और पहले दो वर्षों में इसकी लागत निकल जाती है।
एक ड्राइवर हमेशा ट्रक में बैठा रहता है और ट्रेलर को हुक और अनहुक करता है। न्यूपोर्ट रोबोटिक्स ड्राइवरों की क्षमता में सुधार के लिए एक प्रणाली विकसित कर रहा है। यह काम चलते हुए तत्काल मार्ग सुधार और सलाह के साथ किया जाता है, जिसका लक्ष्य पूरी तरह से स्वायत्त ट्रक विकसित करना होता है।

न्यूपोर्ट रोबोटिक्स ने दो कैनेडियन टायर कंपनी के दो ट्रैक्टरों को सेंसर और कंट्रोलस के साथ रेट्रोफिट किया है जो इसे स्वायत्त रूप से वितरण केंद्र और आस-पास के रेल टर्मिनलों के बीच माल को स्थानांतरित करने में सक्षम बनाता है। सहदेव ने कहा कि इस विशाल खुदरा कंपनी के साथ उनकी कंपनी की साझेदारी ने डिसपैच और ट्रकिंग संचालन में अंतर्दृष्टि प्रदान की है। कंपनियों ने स्थिरता, कार्बन फुटप्रिंट कम करने और उत्सर्जन को कम करने एवं सुरक्षा बढ़ाने के अपने लक्ष्यों को भी साझा किया।
सहदेव छोटी उम्र से ही चीज़ों को बनाने और नई खोजों को करने में शामिल रहे हैं। वह तीसरी कक्षा में कंपोनेन्टस को जोड़ रहे थे। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैं क्या कर रहा था, लेकिन मैं कुछ बना रहा था”। आठवीं कक्षा में उन्होंने होलोग्राफिक प्रोजेक्शन बनाने की सोची, जो प्रौद्योगिकी आज हाॅलोलेंज में मौजूद है। दसवीं कक्षा तक वह रोबोटिक्स और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हो गए। उन्होंने कहा, “मुझे पता था कि मैं नए शोध और इंजीनियरिंग करूंगा।”
सहदेव ने कहा कि छात्रों को अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि वे इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता क्यों। सहदेव ने कहा, ‘‘यह पता लगाओ कि आप क्या करना चाहते हैं और क्या करना पसंद करते हैं, क्योंकि एक बार जब आप इसे जान लेंगे तो अगला रास्ता अपने आप तैयार हो जाएगा।‘‘ तब आप प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग सलाह देने के लिए तैयार होंगे, और आपको यह समझना होगा कि कौन सी सलाह लेनी है क्योंकि इसमें से अधिकांश आप पर सही नहीं बैठेगी।
अगला कदम दुनिया भर के ट्रकों पर उनकी तकनीक को लागू होते देखना है। वे अपनी कंपनी को अरबों डॉलर की इकाई बनता हुआ देखना चाहते हैं। बड़े सपने और बड़े लक्ष्य। सहदेव इन बड़े उपक्रमों की तरह काम करने को तैयार हैं।
लीयो बारोस द्वारा