हम्बोल्टड ट्रक ड्राईवर को मिली दिन की पैरोल

पैरोल बोर्ड आफ कैनेडा ने घातक हम्बोल्टड ब्रोंकोस बस दुर्घटना में शामिल ट्रकर को छह महीने के लिए दिन की पैरोल प्रदान की है।

अल्बर्टा के बोडेन इंस्टीट्यूशन में बुधवार को सात घंटे की सुनवाई के बाद, दो सदस्यीय बोर्ड पैनल ने कहा कि जसकीरत सिंह सिद्धू छह महीने के बाद पूर्ण पैरोल के लिए पात्र होंगे यदि वह पीड़ित परिवारों से कोई संपर्क न करने के सहित सभी शर्तों का अनुपालन करते हैं।

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(तस्वीरः आईस्टॉक)

2018 में हुई टक्कर के लिए खतरनाक ड्राइविंग के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद सिद्धू को आठ साल जेल की सजा सुनाई गई थी। इस टक्कर में 16 लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।

सिद्धू ने ग्रामीण सस्कैचवन चैराहे पर एक रुकने के संकेत की अवज्ञा की थी और एक मैच खेलने जा रही जूनियर हॉकी टीम की बस को टक्कर मार दी थी।

हम्बोल्टड पीड़ितों के चार परिवारिक सदस्य बोर्ड के सामने पेश हुए थे, जिन्होंने सिद्धू की पैरोल का विरोध किया।

दुर्घटना में अपने बेटे लोगान हंटर को खोने वाली सुआना नॉर्डस्ट्रॉम ने कहा, ‘‘यह विश्वास कहां है कि लोग हमारे कानूनों के प्रति जवाबदेह ठहराये जायेंगे? अब मुझे अपने देश की न्यायपालिका पर भरोसा नहीं रहा जो यह सुनिश्चित कर सके कि हम सड़कों पर सुरक्षित हैं।‘‘

उन्होंने सिद्धू और उनकी पत्नी के लिए कोई सहानुभूति व्यक्त नहीं की, जो भी भारत से हैं।

उन्होंने कहा, “यह शादीशुदा जोड़ा एक साथ जीवन जीना चाहता था, लेकिन अगर हमारे कानून तोड़े जाते हैं, तो उसका परिणाम भुगतना होगा और आपका परिणाम जेल में अपनी सजा पूरी करना और फिर अपने देश वापस जाना है। आपने अपना मौका खो दिया है। मेरे बेटे को मौका नहीं मिला, हमें उम्रकैद की सजा मिली है।”

सुनवाई में एंड्रीया जोसेफ उनका पति और बेटी भी शामिल हुए, जिनकी शादी इस हफ्ते के अंत में होने वाली है।

जोसेफ ने कहा कि उस दिन का हर पल फिर से उनकी आंखों के आगे वापिस आ गया जब सिद्धू ने उनके बेटे जैक्सन की जान ली थी। उन्होंने कहा कि सिद्धू की हरकतें ‘एक बेहद स्वार्थी व्यक्ति की तरह‘ थीं।

अपने आंसू पोछते हुए उसने कहा, “मैंने अभी तक अपने बच्चे के लिए रोना बंद नहीं किया है। मैं अब भी अपने बच्चे को गुड नाईट बोलकर सोती हूं और आशा करती हूं कि वह मेरे सपनों में आएगा। इस व्यक्ति को दिन की पैरोल नहीं मिलनी चाहिए। ऐसा करने से मेरा दिल, मेरे परिवार का दिल और कैनेडीयन लोगों का दिल पसीजा जाएगा जिनके बच्चे हैं और जो अपने बच्चों को सुरक्षित करना चाहते हैं।”

इस हादसे में अपने बेटे एडम को खोने वाले रूस हेरल्ड ने कहा कि सिद्धू के जेल से बाहर आने के बारे में सोचकर वह निराश हैं।

उन्होंने कहा, “सिद्धू को पैरोल मिलने की सोच ही परेशान कर देती है और हमारे ज़ख्म फिर से ताज़ा हो जाते हैं। मेरे बेटे को कोई मौका नहीं मिला। वह अपना हॉकी का मैच खेलने जा रहा था। उसका क्या कसूर था?”

पैनल ने बुधवार दोपहर को सिद्धू से तीन घंटे तक जिरह की, जिसमें उससे उसके पहले के बयानों में विसंगतियों होने की बात की गई, जिसमें उन्होंने अपने बॉस को बताया था कि फलैपिंग टरैप के कारण उसका ध्यान बंट गया, लेकिन बाद में आर.सी.एम.पी. को यह कहना शामिल है कि उसकी आंखों में सूरज की रोशनी पड़ने के कारण उसकी आंखें बंद थीं।

पैनल चेयर ने यह भी सवाल किया कि सिद्धू ने रुकने की बहुत सी चेतावनियों का उल्लंघन क्यों किया, टक्कर के बाद उन्होंने 911 पर कॉल क्यों नहीं किया या पीड़ितों को सहायता प्रदान क्यों नहीं की।

उसने पूछा, “आपको कुछ मदद करनी चाहिए थी। अपने क्यों नहीं की?”

सिद्धू ने इसका जवाब दिया, “जब मैंने इतना खून देखा, तो मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। लोग ज़मीन पर पड़े थे। लोगों के रोने की आवाजें आ रही थीं। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था।”

पीड़ितों के परिवारों से माफी मांगते हुए सिद्धू ने कहा, “मैं पैरोल बोर्ड से कहना चाहूंगा कि मैंने एक भयानक काम किया था, जिसने इतने परिवारों की ज़िंदगीयों को बर्बाद किया। मैंने उन सभी को इतना दर्द दिया है। मैंने उनके सपनों को नष्ट कर दिया, उनका भविष्य बर्बाद कर दिया और अब मैंने उन्हें असहनीय पीड़ा दी है।”

“मैंने जो भी दर्द दिया है उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं। मुझे उनके जीवन को बर्बाद करने के लिए बहुत खेद है। मुझे इस बात का बहुत अफसोस है कि मैं उस दिन ध्यान न दे सका।”

कैनेडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी ने मार्च में सिफारिश की थी कि सिद्धू को इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड को सौंप दिया जाए ताकि यह तय किया जा सके कि उन्हें भारत वापस भेजा जाना चाहिए या नहीं।

उनके वकील प्रत्यर्पण के खिलाफ फैडरल अदालत जाने पर विचार कर रहे हैं।